लगातार तीसरी बार शून्य, आप की हार में कांग्रेस को संजीवनी की तलाश; यहीं से वापसी की आस

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कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी इससे पूरी तरह सहमत है कि आप के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का फैसला सही था। इसके पीछे उसका मकसद अपना वोट प्रतिशत सुधारना था। 1993 के बाद से दिल्ली में भाजपा का वोट प्रतिशत 32 से 38% रहा है। 

दिल्ली में पिछले तीन चुनावों से खाता खोलने तक के लिए तरस रही कांग्रेस को हार का गम कम और आम आदमी पार्टी के खात्मे की खुशी ज्यादा है। उसे उम्मीद है कि आप का खराब प्रदर्शन ही उसके लिए राष्ट्रीय राजधानी में भविष्य में पुनरुद्धार का एकमात्र रास्ता है। 

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इसी आस के सहारे कांग्रेस भविष्य में अपना दिल्ली का गढ़ वापस पाने का सपना देख रही है। कांग्रेस का अनुमान है कि अन्ना आंदोलन से उपजी आप सत्ता से बाहर होने पर खत्म हो जाएगी। नतीजों से पहले एक कांग्रेस नेता ने कहा था, हम जानते हैं कि मुसलमानों ने हमें वोट नहीं दिया, हमारे पुराने जनाधार का बड़ा हिस्सा अब भी आप को वोट देता है। 

संभव है कि इस बार सिर्फ एक छोटा सा हिस्सा हमारे पास वापस आ जाए, लेकिन आप सत्ता से बाहर होने के बाद टिके रहने के लिए संघर्ष करेगी। हालांकि नतीजों ने इस उम्मीद को झटका दिया है, पर आप की हार से पार्टी की आस बरकरार है। 

वोट शेयर के गणित में भी आप की हार से थी आस
कांग्रेस सूत्रों की मानें तो पार्टी इससे पूरी तरह सहमत है कि आप के खिलाफ आक्रामक रुख अपनाने का फैसला सही था। इसके पीछे उसका मकसद अपना वोट प्रतिशत सुधारना था। 1993 के बाद से दिल्ली में भाजपा का वोट प्रतिशत 32 से 38% रहा है। 

कांग्रेस 1998 से 2013 तक दिल्ली में सत्ता में थी। 2008 में उसका वोट शेयर 40.31% था, जो 2013 में 24.55% व 2015 में 10% से कम हो गया। 2020 में, सिर्फ 4.26% वोट पा सकी। वहीं, 2013 में आप को 29.49%, 2015 में  54.34% व 2020 में 53.57% वोट मिले। 2013 में भाजपा के वोट 33.07% थे, जो 2015 में 32.19% और 2020 में बढ़कर 38.51% हो गए। नतीजों से पहले एक कांग्रेसी ने कहा था कि आप के खात्मे से ही कांग्रेस की वापसी संभव है।

विपक्षी गठबंधन में अंदरूनी नाराजगी का नतीजा
नतीजों में विपक्षी गठबंधन-इंडिया  की अंदरूनी नाराजगी भी कारण मानी जा रही। गठबंधन के कई सहयोगी दलों का मानना है कि कांग्रेस को भाजपा का मुकाबला करने के लिए आप से हाथ मिलाना चाहिए था। वहीं, कांग्रेस का तर्क है कि केजरीवाल ने 70 सीटों पर उम्मीदवार उतारकर गठबंधन की संभावनाएं खुद ही बंद कर दी थी। विपक्षी इंडिया गठबंधन के कई दलों का मानना है कि हरियाणा और महाराष्ट्र के बाद दिल्ली में शानदार जीत से यह धारणा बनेगी कि भाजपा चुनावी रूप से अजेय है।

अधिकारों की जंग जारी रहेगी : राहुल गांधी
कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष और लोकसभा में नेता विपक्ष राहुल गांधी ने दिल्ली की हार विनम्रता से स्वीकार किया। साथ ही महंगाई, प्रदूषण और भ्रष्टाचार के खिलाफ और दिल्ली की तरक्की के लिए दिल्लीवालों की लड़ाई को लड़ते रहने का आह्वान किया। उन्होंने कहा अधिकारों की जंग जारी रहेगी। कांग्रेस नेता ने सोशल मीडिया पर लिखा कि प्रदेश के सभी कांग्रेस कार्यकर्ताओं को उनके सहयोग, समर्पण के लिए धन्यवाद। सभी मतदाताओं का हृदय की गहराइयों से आभार। जनता की  समस्याओं पर कांग्रेस की जंग जारी रहेगी।

जनमत का सम्मान…जनता के मुद्दों पर लड़ते रहेंगे : खरगे
कांग्रेस को हार पर पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष मल्लिकार्जुन खरगे ने कहा कि कांग्रेस ने जनहित में सत्ता के खिलाफ माहौल बनाया पर जनता ने पार्टी को उम्मीद के अनुरूप जनादेश नहीं दिया। इसलिए वह जनमत को स्वीकारते हैं। किंतु कांग्रेस की जनता के मुद्दों पर लड़ाई जारी रहेगी। कांग्रेस के सभी नेता और कार्यकर्ताओ ने एकजुट होकर, विपरीत परिस्थितियों में मेहनत की, पर अभी और कड़ी मेहनत और संघर्ष की जरूरत है। आने वाले दिनों में कांग्रेस दिल्ली में प्रदूषण, यमुना सफाई, बिजली, सड़क, पानी और विकास के मुद्दों को उठाते रहेंगे और जनता से जुड़े रहेंगे।

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